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% jakhtar20.s isongs output
\stitle{ham to bachapan me.n bhii akele the}
\singers{Javed Akhtar #20}
% Contributed by Shahid Syed
हम तो बचपन में भी अकेले थे
सिर्फ़ दिल की गली में खेले थे
एक तरफ़ मोर्चे थे पलकों के
एक तरफ़ आँसूओं के रेले थे
थीं सजी हसरतें दूकानों पर
ज़िंदगी के अजीब मेले थे
आज ज़ेहन-ओ-दिल भूकों मरते हैं
उन दिनों फ़ाके भी हम ने झेले थे
ख़ुद-कशी क्या ग़मों का हल बनती
मौत के अपने भी सौ झमेले थे