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\stitle{Khushii ne mujh ko Thukaraayaa hai ra.nj-o-Gam ne paalaa hai}
\singers{Ali Ahmed Jalili #3}
ख़ुशी ने मुझ को ठुकराया है रंज-ओ-ग़म ने पाला है
गुलों ने बेरुख़ी की है तो काँटों ने सम्भाला है
मुहब्बत में ख़याल-ए-साहिल-ओ-मंज़िल है नादानी
जो इन राहों में लुट जाये वही तक़दीर वाला है
चराग़ाँ कर के दिल बहला रहे हो क्या जहाँ वालो
अंधेरा लाख रौशन हो उजाला फिर उजाला है
किनारों से मुझे ऐ नाख़ुदा दूर ही रखना
वहाँ लेकर चलो तूफ़ाँ जहाँ से उठने वाला है
नशेमन ही के लुट जाने का ग़म होता तो क्या ग़म था
यहाँ तो बेचने वालों ने गुलशन बेच डाला है