ACZoom Home | ITRANS | ITRANS Song Book |
% jazib01.s isongs output
\stitle{apane saaye se bhii ashko.n ko chhupaa kar ronaa}
\singers{Nisar Tareen Jazib #1}
अपने साये से भी अश्कों को छुपा कर रोना
जब भी रोना हो चराग़ों को बुझा कर जीना
हाथ भी जाते हुये वो तो मिलाकर न गया
मैं ने चाहा जिसे सीने से लगा कर रोना
तेरे दीवाने का क्या हाल किया है ग़म ने
मुस्कुराते हुये लोगों में भी जा कर रोना
लोग पड़ लेते हैं चेहरे पे लिखी तहरीरें
इतना दुश्वार है लोगों से छुपा कर रोना