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% jigar02.s isongs output
\stitle{dil me.n kisii ke raah kiye jaa rahaa huu.N mai.n}
\singers{Jigar Moradabadi #2}
% Additions by Aman



दिल में किसी के राह किये जा रहा हूँ मैं
कितना हसीं गुनाह किये जा रहा हूँ मैं

दुनिया-ए-दिल तबाह किये जा रहा हूँ मैं
सर्फ़-ए-निगाह-ओ-आह किये जा रहा हूँ मैं

फ़र्द-ए-अमल सियाह किये जा रहा हूँ मैं
रहमत को बेपनाह किये जा रहा हूँ मैं

%[fard-e-amal = life's paper; siyaah = blacken; bepanaah = limitless]

ऐसी भी इक निगाह किये जा रहा हूँ मैं
ज़र्रों को महर-ओ-माह किये जा रहा हूँ मैं

मुझ से लगे हैं इश्क़ की अज़मत को चार चाँद
ख़ुद हुस्न को गवाह किये जा रहा हूँ मैं

मासूमि-ए-जमाल को भी जिस पे रश्क हो
ऐसे भी कुछ गुनाह किये जा रहा हूँ मैं

आगे क़दम बढ़ायें जिंहें सूझता नहीं
रौशन चिराग़-ए-राह किये जा रहा हूँ मैं

तनक़ीद-ए-हुस्न मस्लहत-ए-ख़ास-ए-इश्क़ है
ये जुर्म गाह-गाह किये जा रहा हूँ मैं

गुलशन्परस्त हूँ मुझे गुल ही नहीं अज़ीज़
काँटों से ही निभाह किये जा रहा हूँ मैं

यूँ ज़िंदगी गुज़ार रहा हूँ तेरे बग़ैर
जैसे कोई गुनाह किये जा रहा हूँ मैं

मुझ से अदा हुआ है 'ज़िगर' जुस्तजू का हक़
हर ज़र्रे को गवाह किये जा रहा हूँ मैं