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\stitle{kaam aaKhir jazbaa-e-beiKhtiyaar aa hii gayaa}
\singers{Jigar Moradabadi #14}



काम आख़िर जज़्बा-ए-बेइख़्तियार आ ही गया
दिल कुछ इस सूरत से तड़पा उन को प्यार आ ही गया

जब निगाहें उठ गईं अल्लाह रे मेराज-ए-शौक़
देखता क्या हूँ वो जान-ए-इन्तज़ार आ ही गया

हाए ये हुस्न-ए-तसव्वुर का फ़रेब-ए-रंग-ओ-बू
मैं ने समझा जैसे वो जान-ए-बहार आ ही गया

हाँ सज़ा दे ऐ ख़ुदा-ए-इश्क़ ऐ तौफ़ीक़-ए-ग़म
फिर ज़बान-ए-बे-अदब पर ज़िक्र-ए-यार आ ही गया

इस तरह ख़ुश हूँ किसी के वादा-ए-फ़र्दा पे मैं
दर-हक़ीक़त जैसे मुझ को ऐतबार आ ही गया

हाए काफ़िर दिल की ये काफ़िर जुनूँ-अंगेज़ीयाँ
तुम को प्यार आये न आये मुझ को प्यार आ ही गया

दर्द ने करवट ही बदली थी कि दिल की आड़ से
दफ़'तन पर्दा उठा और पर्दादार आ ही गया

जान ही दे दी ज़िगर ने आज पा-ए-यार पर
उम्र भर की बेक़रारी को क़रार आ ही गया