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% jna06.s isongs output
\stitle{sub_h ke dard ko raato.n kii jalan ko bhuule.n}
\lyrics{Jan Nissar Akhtar}
\singers{Jan Nissar Akhtar}
सुब्ह के दर्द को रातों की जलन को भूलें
किसके घर जाएँ कि उस वादा-शिकन को भूलें
आज तक चोट दबाए नहीं दबती दिल की
किस तरह उस सनम-ए-संग्बदन को भूलें
अब सिवा इसके मदावा-ए-ग़म-ए-दिल क्या है
इतनी पी जाएँ कि हर रंज-ओ-मेहन को भूलें
%[mehan = sorrow]
और तहज़ीब-ए-गम-ए-इश्क़ निबाह दे कुछ दिन
आख़िरी वक़्त में क्या अपने चलन को भूलें