ACZoom Home E-mail ITRANS ITRANS Song Book

% kaifi09.s isongs output
\stitle{ab tum aaGosh-e-tasavvur me.n bhii aayaa na karo}
\singers{Kaifi Azmi #9}



अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर में भी आया न करो
मुझ से बिखरे हुये गेसू नहीं देखे जाते
सुर्ख़ आँखों की क़सम काँपती पलकों की क़सम
थर-थराते हुये आँसू नहीं देखे जाते

%[aaGosh-e-tasavvur = in the grasp/reach of dreams/imagination]

अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर में भी आया न करो
छूट जाने दो जो दामन-ए-वफ़ा छूट गया
क्यूँ ये लग़ज़ीदा ख़रामी ये पशेमाँ नज़री
तुम ने तोड़ा नहीं रिश्ता-ए-दिल टूट गया

%[laGaziidaa Karaamii = hesitant walk; pashemaa.N nazarii = penitent gaze]

अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर में भी आया न करो
मेरी आहों से ये रुख़्सार न कुमला जायें
ढूँडती होगी तुम्हें रस में नहाई हुई रात
जाओ कलियाँ न कहीं सेज की मुर्झा जायें

%[ruKsaar = cheek]

अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर में भी आया न करो
मैं इस उजड़े हुये पहलू में बिठा लूँ न कहीं
लब-ए-शीरीं का नमक आरिज़-ए-नमकीं की मिठास
अपने तरसे हुये होंठों में चुरा लूँ न कहीं

%[lab-e-shiirii.n = sweet lips; aariz-e-namakiin = salty cheeks]