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% kaifi10.s isongs output
\stitle{bas ik jhijhak hai yahii haal-e-dil sunaane me.n}
\singers{Kaifi Azmi #10}



बस इक झिझक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में
कि तेरा ज़िक्र भी आयेगा इस फ़साने में

%[jhijhak = hesitation; zikr = mention; fasaanaa = tale]

बरस पड़ी थी जो रुख़ से नक़ाब उठाने में
वो चाँदनी है अभी तक मेरे ग़रीब-ख़ाने में

%[ruK = face; naqaab = veil]

इसी में इश्क़ की क़िस्मत बदल भी सकती थी
जो वक़्त बीत गया मुझ को आज़माने में

ये कह के टूट पड़ा शाख़-ए-गुल से आख़िरी फूल
अब और देर है कितनी बहार आने में