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\stitle{sunaa karo merii jaa.N in se un se afasaane}
\singers{Kaifi Azmi #12}



सुना करो मेरी जाँ इन से उन से अफ़साने
सब अजनबी हैं यहाँ कौन किस को पहचाने

यहाँ से जळ गुज़र जाओ क़ाफ़िले वालों
हैं मेरी प्यास के फूँके हुए ये वीराने

मेरी जुनून-ए-परस्तिश से तंग आ गये लोग
सुना है बंद किये जा रहे हैं बुत-ख़ाने

जहाँ से पिछले पहर कोई तश्ना-काम उठा
वहीं पे तोड़े हैं यारों ने आज पैमाने

बहार आये तो मेरा सलाम कह देना
मुझे तो आज तलब कर लिया है सेहरा ने

सिवा है हुक़्म कि "ख़ैफ़ि" को संग-सार  करो
मसीहा बैठे हैं छुप के कहाँ ख़ुदा जाने