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% kaifi13.s isongs output
\stitle{tum pareshaa.N na ho baab-e-karam vaa na karo}
\singers{Kaifi Azmi #13}
% Contributed by Dinesh Shenoy



तुम परेशाँ न हो बाब-ए-करम वा न करो
और कुछ देर पुकारूँगा चला जाऊँगा
इसी कूचे में जहाँ चाँद उगा करते थे
शब-ए-तारीक गुज़ारूँगा चला जाऊँगा

रास्ता भूल गया या यहाँ मन्ज़िल है मेरी
कोई लाया है या ख़ुद आया हूँ मालूम नहीं
कहते हैं कि नज़रें भी हसीं होती हैं
मैं भी कुछ लाया हूँ क्या लाया मालूम नहीं

यूँ तो जो कुछ था मेरे पास मैं सब कुछ बेच आया
कहीं इनाम मिला और कहीं क़ीमत भी नहीं
कुछ तुम्हारे लिये आँखों में छुपा रक्खा है
देख लो और न देखो तो शिकायत भी नहीं

फिर भी इक रात में सौ तरह के मोड़ आते हैं
काश तुम को कभी तनहाई का एहसास न हो
काश ऐसा न हो ग़ैर-ए-राह-ए-दुनिया तुम को
और इस तरह कि जिस तरह कोई पास न हो

आज की रात जो मेरी तरह तन्हा है
मैं किस तरह गुज़ारूँगा चला जाऊँगा
तुम परेशाँ न हो बाब-ए-करम वा न करो
और कुछ देर पुकारूँगा चला जाऊँगा