% kaleem01.s isongs output
\stitle{tuu kisii aur kii jaagiir hai ai jaan-e-Gazal}
\singers{Zafar Kaleem #1}
% Additions by Simi Chowdhury
तू किसी और की जागीर है ऐ जान-ए-ग़ज़ल
लोग तूफ़ान उठा देंगे मेरे साथ न चल
पहला हक़ था तेरी चाहत के चमन पर मेरा
पहला हक़ था तेरी ख़ुश्बू-ए-बदन पर मेरा
अब मेरा प्यार तेरे प्यार का हक़दार नहीं
मैं तेरे गेसू-ओ-रुख़्सार का हक़दार नहीं
अब किसी और के शानों पे है तेरा आँचल
मैं तेरे प्यार से घर अपना बसाऊँ कैसे
मैं तेरी माँग सितारों से सजाऊँ कैसे
मेरी क़िस्मत में नहीं प्यार की ख़ुश्बू शायद
मेरे हाथों की लकीरों में नहीं तू शायद
अपनी तक़दीर बना मेरा मुक़द्दर न बदल
मुझ से कहती हैं ये ख़ामोश निगाहें तेरी
मेरी परवाज़ से उँची हैं पनाहें तेरी
और ग़ैरत-ए-एहसास पे शर्मिंदा हूँ
अब किसी और की बाहों में हैं बाहें तेरी
अब कहाँ मेरा ठिकाना है कहाँ तेरा महल