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\stitle{aaj kii raat bhii guzarii hai merii kal kii tarah}
\singers{Ameer Kazalbash #4}



आज की रात भी गुज़री है मेरी कल की तरह
हाथ आये न सितारे तेरे आँचल की तरह

रात जलती हुई इक ऐसी चिता है जिस पर
तेरी यादें हैं सुलगते हुये संदल की तरह

तू कि दरिया है मगर मेरी तरह प्यासा है
मैं तेरे पास चला आऊँगा बादल की तरह

मैं हूँ इक ख़्वाब मगर जागती आँखों का "आमेएर"
आज भी लोग गवाँ दे न मुझे कल की तरह