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\stitle{zi.ndagii se ba.Dii sazaa hii nahii.n}
\lyrics{Krishan Bihari Noor}
\singers{Krishan Bihari Noor}



ज़िंदगी से बड़ी सज़ा ही नहीं
और क्या जुर्म है पता ही नहीं

इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं
मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं

सच घटे या बड़े तो सच न रहे
झूठ की कोई इन्तेहा ही नहीं

जड़ दो चाँदी में चाहे सोने में
आईना झूठ बोलता ही नहीं