% kbnoor05.s isongs output
\stitle{aag hai paanii hai miTTii hai havaa hai mujh me.n}
\lyrics{Krishan Bihari Noor}
\singers{Krishan Bihari Noor}
% Contributed by Fayaz Razvi
आग है पानी है मिट्टी है हवा है मुझ में
और फिर मानना पड़ता है के ख़ुदा है मुझ में
अब तो ले-दे के वही शख़्स बच्चा है मुझ में
मुझ को मुझ से जुदा कर के जो छुपा है मुझ में
मेरा ये हाल उभरती हुई ?????? जैसे
वो बड़ी देर से कुछ ढूँढ रहा है मुझ में
जितने मौसम हैं सब जैसे कहीं मिल जाएं
इन दिनों कैसे बताऊँ जो फ़ज़ा है मुझ में
आईना ये तो बताता है के मैं क्या हूँ लेकिन
आईना इस पे है ख़मोश के क्या है मुझ में
अब तो बस जान ही देने की है बारी ऐ "णोओर"
मैं कहाँ तक करूँ साबित के वफ़ा है मुझ में