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% kgaznavi02.s isongs output
\stitle{kaisii chalii hai ab ke havaa tere shahar me.n}
\lyrics{Khatir Gaznavi}
\singers{Khatir Gaznavi}
% Contributed by Yogesh Sethi
कैसी चली है अब के हवा तेरे शहर में
बंदे भी हो गए हैं ख़ुदा तेरे शहर में
क्या जाने क्या हुआ के परेशान हो गए
इक लह्ज़ा रुक गैइ थी सबा तेरे शहर में
कुछ दुश्मनी का ढब हैं न अब दोस्ती के तौर
दोनो का एक रंग हुआ तेरे शहर में
शायद उंहें पता था के ख़तिर है अजनबी
लोगों ने उस को लूट लिया तेरे शहर में