% khumar03.s isongs output
\stitle{kabhii jo mai.n ne musarrat kaa ehatamaam kiyaa}
\lyrics{Khumar Barabanqvi}
\singers{Khumar Barabanqvi}
% Contributed by Fayaz Razvi
कभी जो मैं ने मुसर्रत का एहतमाम किया
बड़े टप्पक से ग़म ने मुझे सलाम किया
हज़ार तर्क-ए-त'अल्लुक़ का एहतमाम किया
मगर जहाँ वो मिले दिल ने अपना काम किया
ज़मानेवालों के डर से उठा न हाथ मगर
नज़र से उसने बसद म'अज़रत सलाम किया
कभी हँसे कभी आहें भरीं कभी रोये
बक़द्र-ए-मर्तबा हर ग़म का एहतराम किया
हमारे हिस्से की मय काम आए प्यासों के
ज़े-ए-राह-ए-ख़ैर गुनाह शिकस्त-ए-जाम किया
तलू-ए-महर से भी घर कि तीरगी न घटी
एक और शब कटी या मैं ने दिन तमाम किया
दुआ ये है के न हूँ गुमराह हमसफ़र मेरे
"ख़ुमर" मैं ने तो अपना सफ़र तमान किया