% khumar05.s isongs output
\stitle{mujhako shikast-e-dil kaa mazaa yaad aa gayaa}
\lyrics{Khumar Barabanqvi}
\singers{Khumar Barabanqvi}
% Contributed by Fayaz Razvi
मुझको शिकस्त-ए-दिल का मज़ा याद आ गया
तुम क्यों उदास हो क्या याद आ गया
कहने को ज़िंदगी थी बहुत मुख़्तसर मगर
कुछ यूँ बसर हुई के ख़ुदा याद आ गया
वाइज़ सलाम ले के चला मैकदे को मैं
फ़िर्दौस-ए-गुम्शुदा का पता याद आ गय
बरसे बग़ैर ही जो घटा घिर के खुल गैइ
एक बेवफ़ा का अह्द-ए-वफ़ा याद आ गया
माँगेंगे अब दुआ के उसे भूल जाएं हम
लेकिन जो वो बेवक़्त-ए-दुआ याद आ गया
हैरत है तुम को देख के मस्जिद में ऐ "ख़ुमर"
क्या बात हो गैइ जो ख़ुदा याद आ गया