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% khumar06.s isongs output
\stitle{vo hame.n jis qadar aazamaate rahe}
\lyrics{Khumar Barabanqvi}
\singers{Khumar Barabanqvi}
% Contributed by Fayaz Razvi



वो हमें जिस क़दर आज़माते रहे
अपनी ही मुश्किलों को बड़ाते रहे

वो अकेले में भी जो लगाते रहे
हो न हो उन को हम याद आते रहे

याद करने पर भी दोस्त आये न याद
दोस्तों के करम याद आते रहे

आँखें सूखी हुई नदियाँ बन गईं
और तूफ़ान बद्सतूर आते रहे

प्यार से उन का इंकार बर-हक़ मगर
लब ये क्यूँ देर तक थर-थराते रहे

थीं तो कमानें हाथों में अग़्यार के
तीर मगर अपनों की जानिब से आते रहे

कर लिया सब ने हमसे किनारा मगर
एक नासेह ग़रीब आते जाते रहे

मैकदे से निकल कर जनाब-ए-'ख़ुमर'
क़ाबा-ओ-दैर में ख़ाक उड़ाते रहे