ACZoom Home E-mail ITRANS ITRANS Song Book

% khumar07.s isongs output
\stitle{ham u.nhe.n vo hame.n bhulaa baiThe}
\singers{Khumar Barabanqvi}
% Contributed by Fayaz Razvi



हम उंहें वो हमें भुला बैठे
दो गुनहगार ज़हर खा बैठे

हाल-ए-ग़म कह कह के ग़म बढ़ा बैठे
तीर मारे थे तीर खा बैठे

आँधियों जाओ अब आराम करो
हम ख़ुद अपनाअ दिया बुझा बैठे

जी ति हल्का हुआ मगर यारो
रो के हम लुत्फ़-ए-ग़म बढ़ा बैठे

बेसहारों का हौसला ही क्या
घर में घबराये दर पे आ बैठे

जब से बिछड़े वो मुस्कुराये न हम
सब ने छेड़ा तो लब हिला बैठे

हम रहे मुब्तला-ए-दैर-ओ-हरम
वो दबे पाओँ दिल में आ बैठे

उठ के इक बेवफ़ा ने दे दी जान
रह गये सारे बावफ़ा बैठे

हश्र का दिन है अभी दूर 'ख़ुमर'
आप क्यों ज़ाहिदों में जा बैठे