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\stitle{vo savaa yaad aaye bhulaane ke baad}
\singers{Khumar Barabanqvi}



वो सवा याद आये भुलाने के बाद
ज़िंदगी बढ़ गई ज़हर खाने के बाद

दिल सुलगता रहा आशियाने के बाद
आग ठंडी हुई इक ज़माने के बाद

रौशनी के लिये घर जलाना पड़ा
कैसी ज़ुल्मत बढ़ी तेरे जाने के बाद

जब न कुछ बन पड़ा अर्ज़-ए-ग़म का जवाब
वो ख़फ़ा हो गये मुस्कुराने के बाद

दुश्मनों से पशेमाअँ होना पड़ा है
दोस्तों का ख़ुलूस आज़माने के बाद

बख़्श दे या रब अहल-ए-हवस को बहिश्त
मुझको क्या चाहिये तुम को पाने के बाद

कैसे कैसे गिले याद आये "ख़ुमर"
उन के आने से क़ब्ल उन के जाने के बाद