% khumar14.s isongs output
\stitle{kyaa huaa husn ham-safar hai yaa nahii.n}
\singers{Khumar Barabanqvi}
% Contributed by Sanjeev Bhalla
क्या हुआ हुस्न हम-सफ़र है या नहीं
इश्क़ मंज़िल ही मंज़िल है रास्ता नहीं
ग़म छुपाने से छुप जाये ऐसा नहीं
बेख़बर तू ने आईना देखा नहीं
दो परिंदे उड़े आंह नम हो गई
आज समझा के मैं तुझको भूला नहीं
अहल-ए-मंज़िल अभी से न मुझ पर हँसो
पाओँ टूटे हैं दिल मेरा टूटा नहीं
तर्क-ए-मय को अभी दिन ही कितने हुये
और कुछ कहा मय को ज़ाहिद तो अच्छा नहीं
छोड़ भी दे अब मेरा साथ ऐ ज़िंदगी
मुझ को नदामत है तुझ से शिक्वा नहीं
तूने तौबा तो कर ली मगर ऐ "ख़ुमर"
तुझको रहमत पर शायद भरोसा नहीं