% khwaja03.s isongs output
\stitle{duniyaa me.n kaun kaun na yak baar ho gayaa}
\singers{Khwaja Mir Dard #3}
दुनिया में कौन कौन न यक बार हो गया
पर मूँह फिर इस तर्फ़ न किया उस ने जो गया
फिरती है मेरी खाक सबा दर-ब-दर लिये
अये चश्म-ए-अश्कबार ये क्या तुझ को हो गया
आगाह इस जहाँ में नहीइं ग़ैर बे ख़ुदाँ
जागा वही इधर से जो मूँद आँख सो गया
तूफ़ान-ए-नोअह ने तो डुबाई ज़मीन फ़क़त
मैं नन्ग-ए-खल्क़ सारी ख़ुदाई डुबो गया
बरहम कहीं न हो गुल-ओ-बुल्बुल की आशती
डरता हूँ आज बाग़ में वो तुंद खू गया
वाइज़ किसे दरावे है योम-उल्हिसाब से
गिरियाँ मेरा तो नामा-ए-आमल धो गय
फुलेंगे इस ज़बाँ में भी गुल्ज़र-ए-मारफ़त
याँ मैं ज़मीन-ए-शेर में ये तुख्म बो गया
आय न ऐतदाल पर हरगिज़ मज़ाज-ए-दहर
मैं गर्चे गर्म-ओ-सर्द-ए-ज़माना समो गय
अये "डर्द" जिस की आँख खुली इस जहाँ में
शबनम की तरह जान को अपनी वो रो गया