% khwaja04.s isongs output
\stitle{tujhii ko jo yaa.N jalvaa farmaa na dekhaa}
\singers{Khwaja Mir Dard #4}
तुझी को जो याँ जल्वा फ़र्मा न देखा
बराबर है दुनिया को देखाअ न देखा
मेरा ग़ुंचा-ए-दिल है वोह दिल-गिरिफ़ता
के जिस को कसो ने कभी वा न देखा
अज़िअत, मुसिबत, मलामत, बलाएं
तेरे इश्क़ में हम ने क्या क्या न देखा
किया मुझ को दाग़ों सर्व-ए-चिराग़ाँ
कभो तु ने आकर तमाशा न देखा
तग़ाफ़ुल ने तेरे ये कुछ दिन दिखाए
इधर तु ने लेकिन न देखा, न देखा
हिजाब-ए-रुख़-ए-यार थे आप ही हम
खुली आँख जब, कोई परदा न देखा
शब-ओ-रोज़ अये "डर्द" दरपाई हूँ उस के
कसो ने जिसे याँ समझा न देखा