% khwaja06.s isongs output
\stitle{apane taaii.n to har ghaDii Gam hai, aalam hai, daaG hai}
\singers{Khwaja Mir Dard #6}
अपने ताईं तो हर घड़ी ग़म है, आलम है, दाग़ है
याद करे हमें कभी कब ये तुझे दिमाग़ है
जि की ख़ुशी नहीं गिरो सब्ज़-ओ-गुल के हाथ कुछ
दिल हो शगुफ़्ता जिस जगह वो ही चमन है बाग़ है
किस की ये चश्म-ए-मस्त ने बज़्म को यूँ छका दिय
मस्ल-ए-हबाब सर नगुँ शरम से हर अयाग़ है
जलते ही जलते सुबह तक गुज़री उसे तमाम शब
दिल है के शोला है कोई, शमा है या चिराग़ है
पाईये किस जगह बता अये बुत-ए-बेवफ़ा तुझे
उम्र-ए-गुज़श्ता की तरह गुम ही सदा सुराग़ है
सैर-ए-बहार-ओ-बाग़ से हम को माफ़ कीजीये
उस के ख़याल-ए-ज़ुल्फ़ से दर्द किसे फ़राग़ है?