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\stitle{ham ki maGluub-e-gumaa.N the pahale}
\singers{Kishwar Naheed #2}



हम कि मग़्लूब-ए-गुमाँ थे पहले
फिर वहीं है कि जहाँ थे पहले

ख़्वाहिशें झुर्रियाँ बन कर उभरीं
ज़ख़्म सीने में निहाँ थे पहले

अब तो हर बात पे रो देते हैं
वाक़िफ़-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ थे पहले

दिल से जैसे कोई काँटा निकला
अश्क आँखों से रवाँ थे पहले

अब फ़क़त अंजुमन-आराई हैं
ऐतबार-ए-दिल-ओ-जाँ थे पहले

दोश पे सर है कि है बर्फ़ जमी
हम कि शोलों की ज़ुबाँ थे पहले

अब तो हर ताज़ा सितम है तस्लीम
हादसे दिल पे गराँ थे पहले

मेरी हम-ज़ाद है तनहाई मेरी
ऐसे रिश्ते भी कहाँ थे पहले