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\stitle{kahaaniyaa.N bhii ga_ii.n qissaa-Khvaaniyaa.N bhii ga_ii.n}
\singers{Kishwar Naheed #3}



कहानियाँ भी गईं क़िस्सा-ख़्वानियाँ भी गईं
वफ़ा के बाब की सब बेज़ुबानियाँ भी गईं

वो बेज़ियाबी-ए-ग़म की सबील भी न रही
लुटा यूँ दिल की सभी बे-सबातियाँ भी गईं

हवा चली तो हरे पत्ते सूख कर टूटे
वो सुबह आई तो हैराँ-नुमाईयाँ भी गईं

वे मेरा चेहरा मुझे आईने में अपना लगे
उसी तलब में बदन की निशानियाँ भी गईं

पलट पलट के तुम्हें देखा पर मिले भी नहीं
वो अहद-ए-ज़ब्त भी टूटा शिताबियाँ भी गईं

मुझे तो आँख झपकना भी था गराँ लेकिन
दिल-ओ-नज़र की तसव्वुर-शि'आरियाँ भी गईं