% kmohan01.s isongs output
\stitle{kyaa ye bhii zi.ndagii hai ki raahat kabhii na ho}
\singers{Krishan Mohan #1}
क्या ये भी ज़िंदगी है कि राहत कभी न हो
ऐसी भी तो किसी से मोहब्बत कभी न हो
%[raahat = relief (from)]
वादा ज़रूर करते हैं आते नहीं कभी
फिर ये भी चाहते हैं शिकायत कभी न हो
%[shikaayat = complaint]
शाम-ए-विसाल भी ये तग़ाफ़ुल ये बेरुख़ी
तेरी रज़ा है मुझको मसर्रत कभी न हो
%[visaal = union/meeting; taGaaful = neglect; beruKii = aloofness caused by anger]
%[razaa = will/desire; masarrat = happiness]
अहबाब ने दिये हैं मुझे किस तरह फ़रेब
मुझसा भी कोई सादा तबीयत कभी न हो
%[ahabaab = friends (plural of habiib); fareb = deception]
लब तो ये कह रहे हैं के उठ, बढ़ के चूम ले
आँखों का ये इशारा के जुर्र'अत कभी न हो
%[jurr'at = daring]
दिल चाहता है फिर वही फ़ुर्सत के रात दिन
मुझको तो तेरे ख़याल से फ़ुर्सत कभी न हो