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\stitle{din aa gaye sabaab ke aa.Nchal sambhaaliye}
\singers{Madanpal}
दिन आ गये सबाब के आँचल सम्भालिये
होने लगी है शहर में हल-चल सम्भालिये
चलिये सम्भल सम्भल के कठिन राह-ए-इश्क़ है
नाज़ुक बड़ी है आप की पायल सम्भालिये
सज धज के आप निकले सर-ए-राह ख़ैर हो
टकरा न जाये आप क पागल सम्भालिये
घर से ना जाओ दूर किसी अजनबी के साथ
बरसेंगे ज़ोर-ज़ोर से बादल सम्भालिये