% madni01.s isongs output
\stitle{firaaq se bhii gaye ham visaal se bhii gaye}
\singers{Aziz Haamid Madni}
% Contributed by Irfan Sattar
फ़िराक़ से भी गये हम विसाल से भी गये
सुबुक हुये हैं तो ऐश-ए-मलाल से भी गये
जो बुत-कदे में थे वो सहिबान-ए-कश्फ़-ओ-कमाल
हरम में आये त्प कश्फ़-ओ-कमाल से भी गये
उसी निगाह की नर्मी से डग-मगा गये क़दम
उसी निगाह के तेवर सम्भाल से भी गये
ग़म-ए-हयात-ओ-ग़म-ए-दोस्त की कशाकश में
हम ऐसे लोग तो रंज-ओ-मलाल से भी गये
वो लोग जिन से तेरी बज़्म में थे हंगामे
गये तो क्या तेरी बज़्म-ए-ख़याल से भी गये
हम ऐसे कौन थे लेकिन क़फ़स कि ये दुनिया
के पर-शिकस्तों में अपनी मिसाल से भी गये
चराग-ए-बज़्म अभी जान-ए-अंजुमन न बुझा
के ये बुझा तो तेरे खद-ओ-ख़ाल से भी गये