% majaz01.s isongs output
\stitle{Khud dil me.n rah ke aa.Nkh se pardaa kare koii}
\lyrics{Majaz}
\singers{Majaz}
ख़ुद दिल में रह के आँख से पर्दा करे कोई
हाँ लुत्फ़ जब है पाके भी ढूँढा करे कोई
तुमने तो हुक्म-ए-तर्क-ए-तमन्ना सुना दिया
किस दिल से आह तर्क-ए-तमन्ना करे कोई
दुनिया लरज़ गैइ दिल-ए-हिरमाँ_नसीब की
इस तरह साज़-ए-ऐश न छेड़ा करे कोई
%[hiramaa.N_nasiib = nasiib ke maare hue]
मुझको ये आरज़ू वह उठायें नक़ाब ख़ुद
उनको ये इन्तज़ार तक़ाज़ा करे कोई
रंगीनी-ए-नक़ाब में ग़ुम हो गैइ नज़र
क्या बे-हिजाबियों का तक़ाज़ा करे कोई
या तो किसी को जुर्रत-ए-दीदार ही न हो
या फिर मेरी निगाह से देखा करे कोई
होती है इस में हुस्न की तौहीन ऐ 'ंअजज़'
इतना न अहल-ए-इश्क़ को रुसवा करे कोई