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\stitle{izn-e-Khiraam lete huye aasamaa.N se ham}
\lyrics{Majaz}
\singers{Majaz}



इज़्न-ए-ख़िराम लेते हुये आसमाँ से हम
हटकर चले हैं रहगुज़र-ए-कारवाँ से हम

क्युओंकर हुआ है फ़ाश ज़माने पे क्या कहें
वो राज़-ए-दिल जो कह न सके राज़दाँ से हम

हमदम यही है रहगुज़र-ए-यार-ए-ख़ुशख़िराम
गुज़रे हैं लाख बार इसी कहकशाँ से हम

क्या क्या हुआ है हमसे जुनूँ में न पूछिये
उलझे कभी ज़मीं से कभी आसमाँ से हम

ठुकरा दिये हैं अक़्ल-ओ-ख़िराद के सनम्कदे
घबरा चुके हैं कशमकश-ए-इम्तेहाँ से हम

बख़्शी हैं हमको इश्क़ ने वो जुर्रतें 'ंअजज़'
डरते नहीं सियासत-ए-अहल-ए-जहाँ से हम