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\stitle{husn ko be-hijaab honaa thaa}
\singers{Majaz #10}



हुस्न को बे-हिजाब होना था
शौक़ को कामयाब होना था

हिज्र में कैफ़-ए-इज़्तराब न पूछ
ख़ून-ए-दिल भी शराब होना था

तेरे जल्वों में घिर गया आख़िर
ज़र्रे को आफ़ताब होना था

कुछ तुम्हारी निगाह काफ़िर थी
कुछ मुझे भी ख़राब होना था

रात तारों का टूटना भी "ंअजज़"
बाइस-ए-इज़्तराब होना था