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\stitle{husn phir fitnaagaar hai kyaa kahiye}
\singers{Majaz #11}
हुस्न फिर फ़ित्नागार है क्या कहिये
दिल की जानिब नज़र है क्या कहिये
फिर वही रहगुज़र है क्या कहिये
ज़िंदगी राहबर है क्या कहिये
हुस्न ख़ुद पर्दादार है क्या कहिये
ये हमारी नज़र है क्या कहिये
आह तो बे-असर थी बरसों से
नग़्मा भी बे-असर है क्या कहिये
हुस्न है अब न हुस्न के जल्वे
अब नज़र ही नज़र है क्या कहिये
आज भी है "ंअजज़" ख़ाक-नशीं
और नज़र अर्श पर है क्या कहिये