% majid02.s isongs output
\stitle{umro.n ke is maamuure me.n hai ko_ii aisaa din bhii jo}
\singers{Majid Amjad #2}
उम्रों के इस मामूरे में है कोई ऐसा दिन भी जो
रूह में उभरे फाँद के सूरज के सैयाल समंदर को
इतने काम हैं इन मव्वाज़ सफ़ों में ख़ुश ख़ुश फिरता हूँ
लेकिन आज अगर कुछ अपने बारे में भी सोचा तो
एक सफ़र कि है सिर्फ़ मुसाफ़त एक सफ़र कि है जुज़्व-ए-सफ़र
जीने वाले यों भी जिये हैं एक उम्र और ज़माने दो
ये अंजाना शहर और पराये लोग ऐ दिल तुम यहाँ कहाँ
आज इस भीड़ में इतने दिनों के बाद मिले हो कैसे हो
दुनिया मुड़ी-तुड़ी सच्चाई सब सच्चे कोई तो कभी
इस अंधेरे से निकले अपने झूठे रूप के दर्शन को
आख़िर अपने साथ कभी तो इक बे-महर मुरव्वत भी
अपने सारे नाम भुलाकर कभी ख़ुद अपने गुन तो गिनो
कच्चीनींद और जिस्म ने धूप चखी और दिल में फूल खिले
घास की सेज पे मैं हूँ तुम्हारे ध्यान में आने वाले दिनो