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\stitle{ham ko junuu.N kyaa sikhalaate ho ham the pareshaa.N tumase ziyaadaa}
\lyrics{Majrooh Sultanpuri}
\singers{Majrooh Sultanpuri}



हम को जुनूँ क्या सिखलाते हो हम थे परेशाँ तुमसे ज़ियादा
चाक किये हैं हमने अज़ीज़ों चार गरेबाँ तुमसे ज़ियादा

चाक-ए-जिगर मुहताज-ए-रफ़ू है आज तो दामन सिर्फ़ लहू है
एक मौसम था हम को रहा है शौक़-ए-बहाराँ तुमसे ज़ियादा

जाओ तुम अपनी बाम की ख़ातिर  सारी लवें शमों की कतर लो
ज़ख़्मों के महर-ओ-माह सलामत जश्न-ए-चिराग़ाँ तुमसे ज़ियादा

हम भी हमेशा क़त्ल हुए अन्द तुम ने भी देखा दूर से लेकिन
ये न समझे हमको हुआ है जान का नुकसाँ तुमसे ज़ियादा

ज़ंजीर-ओ-दीवार ही देखी तुमने तो "ंअज्रोओह" मगर हम
कूचा-कूचा देख रहे हैं आलन्म-ए-ज़िंदाँ तुमसे ज़ियादा