% majrooh04.s isongs output
\stitle{Khatm-e-shor-e-tuufaa.N thaa duur thii siyaahii bhii}
\lyrics{Majrooh Sultanpuri}
\singers{Majrooh Sultanpuri}
ख़त्म-ए-शोर-ए-तूफ़ाँ था दूर थी सियाही भी
दम के दम में अफ़साना थी मेरी तबाही भी
इल्तफ़ात समझूँ या बेरुख़ी कहूँ इस को
रह गैइ ख़लिश बन कर उसकी कमनिगाही भी
याद कर वो दिन जिस दिन तेरी सख़्त्गीरी पर
अश्क भर के उठी थी मेरी बेगुनाही भी
शम भी उजाला भी मैं ही अपनी महफ़िल का
मैं ही अपनी मंज़िल का राहबर भी राही भी
गुम्बदों से पलटी है अपनी ही सदा "ंअज्रोओह"
मस्जिदों में की जाके मैं ने दादख़्वाही भी