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% majrooh05.s isongs output
\stitle{mujhe sahal ho ga_ii.n ma.nzile.N vo havaa ke ruKh bhii badal gae}
\lyrics{Majrooh Sultanpuri}
\singers{Majrooh Sultanpuri}
% Contributed by Ahmed Shemail



मुझे सहल हो गईं मंज़िलेँ वो हवा के रुख़ भी बदल गए
तेरा हाथ हाथ में आ गया के चिराग़ राह में जल गए

वो लजाये मेरे सवाल पर के उठा सके न झुका के सर
उड़ी ज़ुल्फ़ चेहरे पे इस तरह के शबों के राज़ मचल गए

वही बात जो वो न कर सके मेरे शेर-ओ-नग़्मा में आ गई
वही लब न मैं जिंहें छू सका क़दाह-ए-शराब में ढल गए

उन्हें कब के रास भी आ चुके तेरी बज़्म-ए-नाज़ के हादसे
अब उठे के तेरी नज़र फिरे जो गिरे थे गिर के संभल गए

मेरे काम आ गईं आख़िरश यही काविशें यही गरदिशें
बड़हीं इस क़दर मेरी मंज़िलें के क़दम के ख़ार निकल गए

%[aaKirash = at last; kaavishe.n = attempts]