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\stitle{ham to hai.n parades me.n, des me.n nikalaa hogaa chaa.Nd}
\singers{Rahi Masoom Reza}
हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चाँद
अपनी रात की छत पर कितना तनहा होगा चाँद
जिन आँखों में काजल बन कर तैरी काली रात हो
उन आँखों में आँसू का एक कतरा होगा चाँद
रात ने ऐसा पेच लगाया, टूटी हाथ से डोर हो
आँगन वाले नीम में जाकर अटका होगा चाँद
चाँद बिना हर दिन यूँ बीता जैसे युग बीतें हो
मेरे बिना किस हाल में होगा, कैसा होगा चाँद