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% mazhar02.s isongs output
\stitle{ye tajarubaa bhii karuu.N ye bhii kar dikhalaauu.N mai.n}
\singers{Mazhar Imam #2}



ये तजरुबा भी करूँ ये भी कर दिखलाऊँ मैं
कि ख़ुद को याद रखूँ उस को भूल जाऊँ मैं

%[tajarubaa = experiment]

फ़रेब-ए-कार में कुछ तो है कोई बात तो है
कि जान बूझ के इतने फ़रेब खाऊँ मैं

%[fareb-e-kaar = one who betrays]

वो पल कहाँ हैं जो दुनिया से जोड़ता था मुझे
जो पाऊँ तुझ को तो सब के क़रीब आऊँ मैं

कभी तो हो मेरे एहसास-कम-तरी में कमी
कभी तो हो कि उसे खुल के आऊँ मैं

वो शख़्स है कि नसीम-ए-सहर का झोँका है
बिखर ही जाऊँ जो उस को गले लगाऊँ मैं

%[nasiim-e-sahar = morning wind]

अज़ाँ के बाद दुआ को जो हाथ उठाये वो
"ईमम" अपनी नमाज़ें भी भूल जाऊँ मैं

%[azaa.N = call for prayer]