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\stitle{tuu hai gar mujh se Khafaa Khud se Khafaa huu.N mai.n bhii}
\singers{Mazhar Imam #3}



तू है गर मुझ से ख़फ़ा ख़ुद से ख़फ़ा हूँ मैं भी
मुझ को पहचान कि तेरी ही अदा हूँ मैं भी

एक तुझ से ही नहीं फ़स्ल-ए-तमन्ना शादाब
वही मौसम हूँ वही आब-ओ-हवा हूँ मैं भी

सब्त हूँ दस्त-ए-ख़ामोशी पे हिना की सूरत
ना-शुनिदा ही सही तेरा कहा हूँ मैं भी

चाँद बन कर तेरे आँगन में उतर ही जाऊँ
रात के पिछले पहर माँग दुआ हूँ मैं भी

यूँ न मुर्झा कि मुझे ख़ुद पे भरोसा न रहे
पिछले मौसम में तेरे साथ खिला हूँ मैं भी

जाने किस राह चलूँ कौन से रुख़ मुड़ जाऊँ
मुझ से मत मिल कि ज़माने की हवा हूँ मैं भी