% meena05.s isongs output
\stitle{puuchhate ho to suno kaise basar hotii hai}
\lyrics{Meena Kumari}
\singers{Meena Kumari}
पूछते हो तो सुनो कैसे बसर होती है
रात ख़ैरात की सद्क़े की सहर होती है
साँस भरने को तो जीना नहीं कहते या रब
दिल ही दुखता है न अब आस्तेएन तर होती है
जैसे जागी हुई आँखों में चुभें काँच के ख़्वाब
रात इस तरह दीवानों की बसर होती है
ग़म ही दुश्मन है मेरा ग़म ही को दिल ढूँढता है
एक लम्हे की जुदाई भी अगर होती है
एक मर्कज़ की तलाश एक भटकती ख़ुश्बू
कभी मंज़िल कभी तम्हीद-ए-सफ़र होती है
%[markaz = focus; tamhiid = prelude/preamble]