% meer21.s isongs output
\stitle{maani.nd-e-shamaa majalis-e-shab ashkabaar paayaa}
\lyrics{Meer Taqi Meer}
\singers{Meer Taqi Meer}
मानिंद-ए-शमा मजलिस-ए-शब अश्कबार पाया
अल क़िस्सा 'ंएएर को हमने बेइख़्तियार पाया
%[maani.nd-e-shamaa = like a lamp; al qissaa = briefly]
शहर-ए-दिल एक मुद्दत उजड़ा बसा ग़मों में
आख़िर उजाड़ देना उसका क़रार पाया
इतना न दिल से मिलते न दिल को खो के रहते
जैसा किया था हमने वैसा ही यार पाया
क्या ऐतबार याँ का फिर उस को ख़्वार देखा
जिसने जहाँ में आकर कुछ ऐतबार पाया
आहों के शोले जिस जाँ उठे हैं 'ंएएर' से शब
वाँ जा के सुबह देखा मुश्त-ए-ग़ुबार पाया
%[musht-e-Gubaar = handful of dust]