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\stitle{mahar kii tujhase tavaqqo thii  sitamagar nikalaa}
\lyrics{Meer Taqi Meer}
\singers{Meer Taqi Meer}



महर की तुझसे तवक़्क़ो थी सितमगर निकला
मोम समजहे थे तेरे दिल को सो पथ्थर निकला

दाग़ हूँ रश्क-ए-मोहब्बत से के इतना बेताब
किस की तस्कीं के लिये घर से तू बाहर निकला

जीते जी आह तेरे कूचे से कोई न फिरा
जो सितमदीदा रहा जाके सो मर कर निकला

दिल की आबादी कि इस हद है ख़राबी के न पूछ
जाना जाता है कि इस राह से लश्कर निकला

अश्क-ए-तर, क़तरा-ए-ख़ून, लख़्त-ए-जिगर, पारा-ए-दिल
एक से एक अदू आँख से बहतर निकला

हम ने जाना था लिखेगा तू कोई हर्फ़ अए 'ंएएर'
पर तेरा नामा तो एक शौक़ का दफ़्तर निकला