% meraj01.s isongs output
\stitle{ek TuuTii huii za.njiir kii fariyaad hai.n ham}
\lyrics{Meraj Faizabadi}
\singers{Meraj Faizabadi}
% Contributed by Fayaz Razvi
एक टूटी हुई ज़ंजीर की फ़रियाद हैं हम
और दुनिया ये समझती है के आज़ाद हैं हम
क्यों हमें लोग समझते हैं यहाँ परदेसी
इक मुद्दत से इसी शहर में आबाद हैं हम
काहे का तर्क-ए-वतन काहे की हिजारत बाबा
इसी धर्ती की इसी देश की औलाद हैं हम
हम भी तामीर-ए-वतन में हैं बराबर के शरीक
दर-ओ-दीवार अगर तुम हो तो बुनियाद हैं हम
हम को इस दौर-ए-तरक़्क़ी ने दिया क्या "ंएरज"
कल भी बर्बाद थे और आज भी बर्बाद हैं हम