% mkdm01.s isongs output
\stitle{Tuur}
yahii.n kheto.n me.n paanii ke kiinare yaad hai ab bhii
\lyrics{Makhdoom Moinuddin}
\singers{Makhdoom Moinuddin}
यहीं की थी मोहब्बत के सबक़ की इब्तदा मैं ने
यहीं की जुर्रत-ए-इज़्हार-ए-हर्फ़-ए-मुद्द'अ मैं ने
यहीं देखे थे इश्व-ए-नाज़-ओ-अंदाज़-ए-हय मैं ने
यहीं पहले सुनी थी दिल धड़कने की सदा मैं ने
यहीं खेतों में पानी के कीनरे याद है अब भी
दिलों में इज़्दहम-ए-आरज़ू लब बंद रहते थे
नज़र से गुफ़्तगू होती थी दम उल्फ़त का भरते थे
न माथे पर शिकन होती, न जब तेवर बदलते थे
ख़ुदा भी मुस्कुरा देता था जब हम प्यार करते थे
यहीं खेतों में पानी के कीनरे याद है अब भी
वो क्या आता के गोया दौर में जाम-ए-शराब आता
वो क्या आता रंगिली रागनी रंगीं रबाब आता
मुझे रंगीनियों में रंगने वो रंगीं सहाब आता
लबों की मै पिलाने झूमता मस्त-ए-शबाब आता
यहीं खेतों में पानी के कीनरो याद है अब भी
हया के बोझ से जब हर क़दम पर लग़ज़िशें होतीं
फ़ज़ाँ में मुंतसर रंगीं बदन की लरज़िशें होतीं
रबाब-ए-दिल के तारों में मुसलसिल जुम्बिशें होतीं
ख़िफ़ा-ए-राज़ की पुर्लुत्फ़ बहम कोशिशें होतीं
यहीं खेतों में पानी के कीनरे याद है अब भी
बला-ए-फ़िक्र-ए-फ़र्दा हमसे कोसों दूर होती थी
सुरूर-ए-सर्मदी से ज़िंदगी मामूर होती थी
हमारी ख़िल्वत-ए-मसूम रश्क़-ए-तूर होती थी
मलक झूला झुलाते थे ग़ज़ल-ख़्वाँ हूर होती थी
यहीं खेतों में पानी के कीनरे याद है अब भी
न अब वो खेत बाक़ी हैं न वो आब-ए-रवाँ बाक़ी
मगर उस ऐश-ए-रफ़्ता का है इक धुंदला निशाँ बाक़ी