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\stitle{ishq ke shole ko bha.Dakaao ke kuchh raat kaTe}
\singers{Makhdoom Moinuddin #5}



इश्क़ के शोले को भड़काओ के कुछ रात कटे
दिल के अंगार को दहकाओ के कुछ रात कटे

हिज्र में मिलने शब-ए-माह के ग़म आये हैं
चारासाज़ों को भी बुलवाओ के कुछ रात कटे

चश्म-ओ-रुख़्सर के अज़गार को जारी रखो
प्यार के नग़्मे को दोहराओ के कुछ रात कटे

कोह-ए-ग़म और गराँ और गराँ और गराँ
ग़म्ज़ा-ओ-तेश को चमकाओ के कुछ रात कटे