% mkdm06.s isongs output
\stitle{Intezaar raat bhar diidaa-e-Gam-naak me.n laharaate rahe}
\singers{Makhdoom Moinuddin #6}
रात भर दीदा-ए-ग़म-नाक में लहराते रहे
साँस की तरह से आप आते रहे, जाते रहे
ख़ुश थे हम अपनी तमन्नाओं का ख़्वाब आयेगा
अपना अरमान बर-अफ़्गंदा नक़ाब आयेगा
%[bar-afga.ndaa = without covering/unveiled]
नज़रें नीची किये शर्माये हुये आयेगा
काकुलें चेहरे पे बिखराये हुये आयेगा
%[kaakule.n = curls of hair]
आ गई थी दिल-ए-मुज़्तर में शकेबाई सी
बज रही थी मेरे ग़म-खाने में शहनाई सी
%[muztar = restless; shakebaa_ii = peace]
शब के जागे हुये तारों को भी नींद आने लगी
आप के आने की इक आस थी अब जाने लगी
सुबह ने सेज से उठते हुये ली अंगराई
ओ सबा तू भी जो आई तो अकेले आई
%[sabaa = breeze]
मेरे महबूब मेरी नींद उड़ाने वाले
मेरे मसजूद मेरी रूह पे छाने वाले
%[masajuud = to whom one bows/worships]
आ भी जा ताके मेरे सजदों का अरमाँ निकले
आ भी जा के तेरे क़दमों पे मेरी जाँ निकले