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% mniazi03.s isongs output
\stitle{bechain bahut phiranaa ghabaraae hue rahanaa}
\lyrics{Munir Niazi}
\singers{Munir Niazi}
% Contributed by Yogesh Sethi



बेचैन बहुत फिरना घबराए हुए रहना
इक आग सी जज़बों की बहकाए हुए रहना

छलकाए हुए चलना ख़ुश्बू-ए-बेगानी की
इक बाग़ सा था अपना महकाए हुए रहना

इस हुस्न का शेवा है, जब इश्क़ नज़र आए
पर्दे में चले जाना, शर्माए हुए रहना

इक शाम सी कर रखना काजल के करिशमे से
इक चाँद सा आँखों में चमकाए हुए रहना

आदत ही बना ली है तुम ने तो "ंउनिर" अपनी
जिस शहर में भी रहना उक्ताए हुए रहना