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\stitle{us simt mujh ko yaar ne jaane nahii.n diyaa}
\singers{Munir Niazi #10}



उस सिम्त मुझ को यार ने जाने नहीं दिया
एक और शहर-ए-यार में आने नहीं दिया

कुछ और वक़्त चाहते थे कि सोचें तेरे लिये
तूने वो वक़्त हम को ज़माने नहीं दिया

मंज़िल है इस महक की कहाँ किस चमन में है
इस का पता सफ़र में हवा ने नहीं दिया

रोका अना ने काविश-ए-बेसुद से मुझे
उस बुत को अपना हाल सुनाने नहीं दिया

है जिस के बाद अहद-ए-ज़वाल-आश्ना "ंउनिर"
इतना कमाल हम को ख़ुदा ने नहीं दिया