% mohsin05.s isongs output
\stitle{hamaaraa kyaa hai}
\singers{Mohsin Naqvi #5}
% Contributed by Afzaal Khan
हमारा क्या है के हम तो चिराग़-ए-शब की तरह
अगर जले भी तो बस इतनी रौशनी होगी
के जैसे तुंद अंधेरों की राह में जुगनू
ज़रा सी देर को चमके चमक के खो जाये
फिर इस के बाद किसी को न कुछ सुझाई दे
न शब कटे न सुराग़-ए-सहर दिखाई दे
हमारा क्या है के हम तो पस-ए-ग़ुबार-ए-सफ़र
अगर चले भी तो बस इतनी राह तय होगी
के तेज़ हवाओं की ज़र्द माइल नक़्श-ए-क़दम
ज़रा सी देर को उभरे उभर के मित जाये
फिर उस के बाद न रास्ता न रहगुज़र मिले
हद्द-ए-निगाह तलक दश्त-ए-बेकिनर मिले
हमारी सिम्त न देखो के कोई देर में हम
क़बीला-ए-दिल-ओ-जान जुदा होने वाले हैं
बसे बसाये हुये शहर अपनी आँखों के
मिसल-ए-खाना-ए-वीरान उजड़ने वाले हैं
हवा का शोर ये ही है तो देखते रहना
हमारी उमर के ख़ेमें उखड़ने वाले हैं